मेरठ। सूर्योदय विहार अंसल कॉलोनी, मेरठ में संस्कार भारती की साहित्यिक इकाई स्वामी विवेकानन्द इकाई मेरठ के तत्वावधान विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत मा. सुनील भराला, डा. सतीश कुमार शर्मा, श्री मुनेन्द्र भडाना, श्री उमेश सिंघल, श्री राजगोपाल कात्यायन एवं डा. एस.के. शर्मा ने संयुकत रूप से मां शारदे के सम्मुख दीप जलाकर की। कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत कवियित्री सुषमा सवेरा की सरस्वती वंदना से हुई उन्होंने कहा— तू भक्ति है, तू शक्ति है, तू मन भी है, तू प्राण भी। कवि सुदेश दिव्य ने कुछ तरह बदलते नये भारत को अपनी कविता में सुनाया— भ्रष्टाचार और कुछ दिन में भारत से मिट जायेगा, सोने की चिडिया फिर से अपना भारत कहलायेगा। सुनाकर खूब तालियां बटोरी। बिजनौर से आये कवि हुक्का बिजनौरी ने देश में फैले भ्रष्टाचार पर कुछ ऐसे तंज कसते हुए कहा— मिलावट के खेल में हम कितना आगे बढ गए, कीडे मारने वाली दवाई में भी कीडे पड गए। साहिबाद बाद से आए वरिष्ठ शायर बिजेन्द्र परवाज ने कुछ इस तरह प्रेम पर गजल सुनाई—मैंने कल परवाज टांके जिनमें अरमानों के फूल, आज चांदी के क्लिप उन रेशमी बालों में हैं। गाजियाबाद से आए गीतकर अशोक पंकज ने सुनाया— चलाएं मिलजुल कर अभियान, करें नव भारत का निर्माण। सरधना से आए कवि वीरेन्द्र अबोध ने बापू खत शीर्षक से ऐसी मार्मिक कविता सुनाई कि सभी की आंखें भर आयीं उन्होंने कहा— दुख हुआ महाजन ने खेत को टुकडों में बांट दिया, जिसे मैं पूजता था वो पीपल काट दिया। गजरौला से आए युवा कवि राजकुमार हिन्दुस्तानी ने अपनी बात को कुछ इस अंदाज में कहा— जुनून जोश जज्बा सब कुछ तो मेरे पास है, पर मुझे तो आज भगत सिंह की तलाश है। मवाना से आए कवि मुनीश अक्श ने सुनाया— करता जो अपने मुल्क से तू प्यार नहीं है, तू कुछ मगर दोस्त वफादार नहीं है। कवि विनेश कौशिक ने बदलते रिश्तों पर कुछ इस तरह कविता सुनाई— एक दिन दादा जी ने मुझसे कहा, बेटा पहले जैसा तो कुछ भी नहीं रहा। कवि संजीव त्यागी ने काश्मीर पर अपनी कविता इस प्रकार सुनाई— लालचौक की पीडाओं को लालकिला हुंकारा है, महकेगी कश्मीरी घाटी ये विश्वास हमारा है। माछरा से आये कवि जगतवीर जगन्नाथ ने कुछ इस अंदाज में अपनी बात कही— एक से बढकर एक जगत में दिखती सुन्दर नारी है, किन्तु उसको समझो सुंदर जो साजन को प्यारी है। कवियित्री तुषा शर्मा स्वयंप्रभा ने नेताओं पर तंज करते हुए अपनी बात को ऐसे कहा— फूल की कीमत खार से देख, हर इंसान को प्यार से देख।
कार्यक्रम का संचालन वीरेन्द्र अबोध ने किया और कार्यक्रम के संयोजक डा. सुदेश दिव्य थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में डा. एस. के. शर्मा, विनेश कौशिक, विनीत त्यागी, पंकज त्यागी, अशोक कुमार आदि का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम के अंत में इकाई के महामंत्री कवि सुदेश दिव्य ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि पश्चिमी देशों की नकल के कारण देश में बदलती जीवन शैली के प्रभाव को कम करने के उददेश्य से संस्कार भारती की साहित्यिक इकाई शहर के विभिन्न क्षेत्रों के साथ साथ शिक्षण संस्थानों में भी स्वस्थ्य मनोंरंजन के अलावा समाज को नई दिशा देने के लिए कवि सम्मेलन कराने के लिए संकल्पबद्ध हैं।
संस्कार भारती ने किया साहित्यकार सम्मान समारोह एवं कवि सम्मेलन का आयोजन